सेब बेचकर सेब के बागानों का मालिक...
यह एक ठुकराए गए नौजवान की कामयाबी की कहानी है.
वहां से निकल कर वह सेब के एक बागीचे में जाकर बैठ गया. उसे कोई विकल्प
दिखाई नहीं दे रहा था. तभी उसकी नज़र सेबों पर पड़ी. उसने उस बगीचे से कुछ सेब तोड़े
और उन्हें लेकर घर-घर जा कर बेचने लगा. सेब ताजे थे, इसीलिए तुरंत बिक भी गए. सेब
बेचने से उसे लगभग सौ रूपये मिले वह उन पैसों से दुबारा बाजार से सेब खरीद लाया.सौ
रुपये के सेब उसने डेढ़ सौ रुपये में बेचे. दिन के अंत होने तक उसने लगभग तीन सौ
रुपये कमा लिए. अगले दिन उसने फिर सौ रुपये के सेब से शुरु किया और दिन के अंत तक
लगभग छह सौ रुपये कमा लिए. ऐसे करते करते उसने सेब का ठेला, फिर दुकान, फिर कई
दुकानें खरीद लीं. उसके अपने सेब के बगीचे हो गए और वह एक बड़ा व्यवसायी बन गया.
लगभग दस साल बीत गए. एक दिन वह उसी बगीचे के पास से गुजर रहा था जहां से उसने अपनी
यात्रा शुरु की थी. उसने गाड़ी रुकवाई. तभी बड़ी गाड़ी देखकर बगीचे का मालिक वहां
पहुंच गया. वह किशोर को देखकर बहुत खुश हो गया. उसे लगा, शायद किशोर उसके बगीचे को
खरीदने आया है. तभी किशोर बोला- मैं आज जो कुछ भी हूँ, सिर्फ आपकी वजह से हूँ.
बगीचे का मालिक हैरान हो गया. फिर किशोर ने अपनी पूरी कहानी उन्हें सुनाई. बगीचे का
मालिक बोला- आपने कभी सोचा है कि कंप्यूटर का ज्ञान न होने और ई-मेल के बगैर आप
इतने ऊँचे मुकाम पर पहुंच गए. अगर कंप्यूटर चलाना आता होता, तो आज कहां होते? किशोर
बोला- अगर मुझे कंप्यूटर चलाना आता होता, तो शायद मैं आज भी एक ऑफिस बॉय ही होता.
Moral Of The Story – अगरज़ज्बा हो, तो शून्य से शुरू कर के भी शिखर पर पहुंचा जा
सकता है.
Comments
Post a Comment