शुभाश्री, पोस्टर और वह आईना...
शुभाश्री की कहानी, जिसकी सोच को चंद प्रेरणादायी पंक्तियों ने बदल दिया और उसमें जोश भर दिया।
शुभाश्री पिछले सात साल से उस कंपनी में काम कर रही थी। मगर अब ऑफिस में उसका मन नहीं लगता था। कंपनी के हालात भी बहत अच्छे नहीं थे। उस दिन ऑफिस में घुसते ही उसने एक बड़ा-सा पोस्टर लगा देखा, जिस पर । लिखा था, स्वागत। आपकी वजह से यह कंपनी
नए आयामों तक पहुंचने वाली है। शुभाश्री को कुछ समझ में नहीं आया। लगा, शायद फिर कोई नया कर्मचारी नियुक्त हुआ होगा। वह जाकर चुपचाप अपनी डेस्क पर बैठ गई। कुछ देर में ऑफिस बॉय आया और उसने सबसे कहा कि आप सब से अनुरोध है कि आज शाम पांच बजे कैफेटेरिया में उपस्थित रहें।
शुभाश्री हैरान थी। आखिर ऐसा कौन आया है, जिसका इतना भव्य स्वागत किया जा रहा है? पूरे ऑफिस में हलचल मच गई थी। हालांकि सबको यकीन था कि वह जो भी व्यक्ति होगा, वहीं अब कंपनी संभालेगा। सबको शाम पांच बजे का बेसब्री से इंतजार था। उस एक संदेश से ही ऑफिस में जैसे पहले जैसी जान आ गई। थी। पांच बजे जब सब लोग कैफेटेरिया में घुसे, तो देखा एक बड़ा-सा फूलों का गुलदस्ता वहां रखा हुआ था और आसपास कई सुंदर-सुंदर आकर्षक तोहफे रखे थे। लोग कह रहे थे कि कोई नया कर्मचारी आया है, जो सामने वाले कमरे में है। एक-एक करके सारे कर्मचारी उससे मिलने कमरे में जा रहे थे। जैसे ही शुभाश्री कमरे में घुसी, उसने देखा एक बड़ा-सा शीशा वहां रखा हुआ है और बगल में एक बड़े से चार्ट पेपर पर लिखा था, आपका कंपनी में एक बार फिर स्वागत है। कंपनी तभी विकास करेगी, जब आप विकास करेंगे। कंपनी का माहौल तभी खुश रहेगा, जब आप खुश रहेंगे। आपकी सफलता, खुशी और विकास का अगर कोई शख्स जिम्मेदार है, तो वह आप खुद हैं। कंपनी बदलने से आप नहीं बदल सकते। आशा है, आपका नया जीवन सुखकर होगा। उस दिन के बाद से, शुभाश्री में एक नया जोश भर गया।
Moral of the Story - बस अपनी सोच बदलने से ही सचमुच बहुत कुछ बदल जाता है।
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