बिल्ली, झगड़ा और कहानी...

तीन बिल्लियों की कहानी, जो खुद को श्रेष्ठ साबित करना चाहती थी।

तीन बिल्लियां आसपास के घरों में रहती थीं। उनमें गहरी मित्रता थी। उनमें एक बिल्ली का रंग सफेद था। दूसरी काले रंग की थी और तीसरी बिल्ली का रंग भूरा था। एक दिन काली बिल्ली ने कहा, मेरा रंग तो सबसे बढ़िया है, क्योंकि खुद को छिपाकर मैं शिकार को आसानी से झपट सकती हूं। उसने कहा, सफेद रंग तो सबसे खराब है, इससे तो हल्की रोशनी में शिकार पकड़ना कठिन है। सफेद बिल्ली ने नाराजगी से जवाब देते हुए कहा, सफेद सबसे बेहतर रंग है, क्योंकि यह शुद्धता का प्रतीक है। जब यह बहस असहनीय होने लगी, तो भूरी बिल्ली ने दखल देते हुए कहा

बिल्ली, झगड़ा और कहानी...

मैं एक कहानी सुनाती हूं। सुनकर फैसला करना कि कौन-सा रंग सबसे अच्छा है। भूरी बिल्ली ने कहानी सुनानी शुरू की : बिल्लियों को बनाने से पहले ईश्वर ने पहले मिट्टी के तीन मॉडल बनाए। भगवान ने मिट्टी की उन बिल्लियों की मजबूती के लिए उन्हें आग में पकने के लिए डाल दिया। पहले मॉडल को भंट्ठी में पकाने से पहले भगवान को अंदाजा नहीं था कि उसे पकने में कितना वक्त लगेगा। देर तक आग में पड़े रहने के कारण वह मॉडल झुलस गया। इस तरह काली बिल्ली बनी। भगवान को इससे सीख तो मिली, मगर उन्होंने काले मॉडल में जीवन डाल दिया। सारी काली बिल्लियां उसी की वारिस हैं। भगवान ने दूसरे मॉडल को जल्दी ही भट्ठी से बाहर निकाल लिया। इस तरह सफेद बिल्ली बनी। तब तक भगवान को मिट्टी के पुतलों को आंच में पकाने का अच्छा अनुभव हो चुका था। तीसरी बार मॉडल को पकाने का उनका प्रयोग पूरी तरह सफल रहा। यह बिल्ली परिपूर्ण थी और उसका रंग भूरा था। अब तुम अंदाजा लगा सकते हो कि सबसे बेहतर रंग कौन-सा है। काली और सफेद बिल्लियों को लग रहा था कि यह कहानी काल्पनिक है। उन्होंने झगड़ना बंद कर दिया और फिर से दोस्त बन गईं। वे समझ चुकी थीं कि बहस में कोई जीत नहीं सकता। 

Moral of the story - खुद को श्रेष्ठ बताने से बेहतर है कि दूसरे के गुणों को भी स्वीकारें।


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