जब रहें एक ही शरीर में स्त्री-पुरुष दोनों...

शरीर विज्ञान में द्विलिंगी काया को हर्माफ्रोडाइट कहा जाता है। हफ्रिोडाइट का उद्गम एक पुरातन ग्रीक नायक हर्माफ्रोडाइटस से हुआ जो अति सुन्दर दम्पती हर्मस एवं एफ्रोदिते का पुत्र था। हर्मस यूनानियों का देवता है तथा एफ्रोदिते प्रेम की देवी का नाम है। कथानुसार एफ्रोदिते एवं हर्मस का पुत्र हर्माफ्रोडाइटस एक सुन्दर एवं बांका नौजवान था। वह अक्सर नहाने के लिए नदी में जाया करता था। उसकी सुंदरता और बांकेपन पर नदी की एक जलपरी सेल्पासिस मोहित हो गई।

जब रहें एक ही शरीर में स्त्री-पुरुष दोनों

वह हर्माफ्रोडाइटस को अपने मोहजाल में फंसाने का यत्न करने लगी। हर्माफ्रोडाइटस किसी भी प्रकार से उस जलपरी की ओर मोहित न हुआ। उसने सेल्पासिस के प्रणय निवेदन को बड़ी निर्ममता से ठुकरा दिया। मर्माहत सेल्पासिस ने हर्माफ्रोडाइटस को पाने के लिए प्रेम की देवी वीनस की आराधना शुरू कर दी। अन्ततः उसने हर्माफ्रोडाइटस का शरीर अपने शरीर से जोड़ देने का वर प्राप्त कर लिया।

अगले दिन जब हर्माफ्रोडाइटस नहाने के लिए नदी के जल में उतरा तो वापस न लौट सका। अनजानी चुम्बकीय शक्ति उसे सेल्पासिस के निकट ले गई और देखते ही देखते दोनों के शरीर एकाकार हो गए। किंतु, द्विलिंगी बॉबी कार्क के मामले में ऐसा कुछ नहीं हुआ। जन्म के समय से ही उसका शरीर द्विलिंगी था। बॉबी कार्क का वर्णन करते हुए फ्रेडरिक ड्रीनर ने अपनी पुस्तक 'वेरी स्पेशल पीपुल' में लिखा है कि सम्पृक्त यौन अथवा द्विलिंगी काया के अब तक प्राप्त साक्ष्य में बॉबी कार्क का नाम सर्वाधिक उल्लेखनीय है। बॉबी कार्क के आधे शरीर में पुरुष केलक्षण थे जबकि शेष शरीर में स्त्रियोचित उभार थे। उसके स्त्री शरीरांश पर बालरहित चिकनी एवं कमनीय त्वचा तथा कोमलता थी जबकि पुरुष शरीरांश पर बाल के साथ-साथ पुरुषोचित कठोरता थी।

लन्दनवासियों के लिए इन्हीं विशेषताओं के कारण वह आकर्षण का केन्द्र बना रहा। बॉबी कार्क शो मैन उसे स्टेज पर प्रदर्शित करते समय बड़े विश्वास के साथ दर्शकों को उसके शरीर की विलक्षणताओं को निकट से परखने के लिए आमंत्रित करता

परखने वालों से वह शो के टिकट के अलावा भी पैसा वसूल करता था। बॉबी कार्क की ही भांति एक अन्य उभयलिंगी  मोनाहैरिस। मोनाहैरिस की काया बॉबी कार्क से थोड़ी भिन्न थी। शो मैन हैरी लोस्टन के अनुसार,वह एक औरत थी किंतु, पुरुष लिंग भी रखती थी। उसकी छातियां स्त्रियों की भांति थीं किन्तु, निप्पल का विकास नहीं हुआ था। कई उभयलिंगियों के अध्ययन करने वाले विख्यात विद्वान जेम्स सी. कोलमैन के अनुसार द्विलिंगी में स्त्री एवं पुरुष के लिंग पूर्ण विकसित रहते हैं किन्तु, ऐसे व्यक्ति प्राय: उन्हीं यौन प्रवृत्तियों में जुड़े रहते हैं जिनके साथ उन्हें शैशवकाल से ही जोड़ दिया जाता है। यदि बचपन में ऐसे शिशु को कन्या के रूप में मान्यता दी जाए तो ऐसे शिशु में स्त्रियोजित गुण विकसित होंगे तथा दूसरी यौन भावना स्वतः दब जाएगी।

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