प्रतिभा, मां और अर्चना आंटी...

प्रतिभा की कहानी, जिसे अर्चना आंटी के कुछ शब्दों ने मां की ममता का एहसास करा दिया।

अर्चना आंटी लखनऊ स्टेशन पर चाय की गुमटी चलाती थी। एक दिन एक छोटी-सी लड़की प्रतिभा उनकी गुमटी पर आकर बैठ गई। वह परेशान लग रही थी। उस समय आंटी समोसे बना रही थीं। उन्होंने प्रतिभा से पूछा, क्या तुम समोसा खाओगी? प्रतिभा बोली, हां, पर मेरे पास पैसे नहीं हैं। आंटी ने प्रतिभा को समोसा देते हुए कहा, तुमसे पैसे न भी लिए, तो कोई बात नहीं। प्रतिभा आंटी को हैरानी से देखते हुए बोली, एक आप हैं, जो मुझे जानती भी नहीं, फिर भी इतने प्यार से समोसा खिलाने को तैयार हैं। दूसरी तरफ मेरी मां हैं, जो मुझे जरा भी प्यार नहीं करतीं। 

प्रतिभा, मां और अर्चना आंटी...

आंटी बोलीं, क्या तुम घर से भागकर आई हो? प्रतिभा आंखें चुराते हुए थोड़ी हिचकिचाते हुए बोली, नहीं तो। आंटी बोलीं, क्या तुम सचमुच मानती हो कि तुम्हारी मां तुम्हें प्यार नहीं करतीं? प्रतिभा बोली, कोई आप के ऊपर चिल्लाए और घर से निकल जाने को कहे, तो वह यही दर्शाता है न कि वह प्यार नहीं करती? आंटी बोलीं, मैंने तुम्हें सिर्फ एक समोसा खाने को दे दिया, और तुमने मुझे इतनी इज्जत दी। तुम्हारी मां ने कुछ तो किया होगा, जो तुम इतनी संस्कारी हो। देखने में लगती भी एकदम चुस्त-दुरुस्त हो। क्या खिलाती हैं तुम्हारी मां? प्रतिभा फिर हैरान होकर आंटी की तरफ देखने लगी। आंटी बोलीं, मां का दिल बहुत सख्त होता है, नहीं तो तुम्हें सही रास्ते पर कैसे ले आएगी? नर्म दिल से बात करेगी, तो तुम सुनोगी? प्रतिभा चुपचाप आंटी की बात सुनती रही, फिर बोली, शायद मुझसे गलती हो गई। मुझे वापस घर जाना चाहिए, मेरी मां परेशान होंगी। जब प्रतिभा अपने घर पहुंची, तो देखा, उसके घर के आगे काफी भीड़ इकट्ठा थी। मां की आंखों से आंसू बह रहे थे। आसपास के लोग प्रतिभा से पूछने लगे, अपनी मां को छोड़कर कहां चली गई थी? प्रतिभा ने मां से माफी मांगते हुए कहा, मां, आज मुझे एहसास हुआ कि मैं आज जो भी हूं, वह इसीलिए हूं, क्योंकि आप इतनी सख्त थीं। मुझे माफ कर दीजिए।

Moral of the story - हम अपने मां-बाप की सख्ती को उनकी निर्दयता समझ लेते हैं, जो सही नहीं।


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