दो सहेलियां और पानी का प्रयोग...
दो सहेलियों की कहानी, जिन्हें उनके शिक्षक ने जीवन का महत्वपूर्ण पाठ सिखाया।
सोमा और विनीता दो सहेलियां थीं। एक दूसरे के प्रति उनमें बहुत प्यार और लगाव था। दोनों बचपन से एक-दूसरे के साथ बड़ी हुई थीं। उनके बीच दोस्ती इतनी गहरी थी कि लोग उनकी दोस्ती की मिसालें दिया करते थे। वे एक साथ पढ़ती थीं और एक साथ ही कॉलेज जाती थीं। लेकिन एक दिन किसी ने उनके बीच गलतफहमी की ऐसी दीवार खड़ी कर दी कि उन दोनों ने बिना एक-दूसरे से बात किए खुद को एक-दूसरे से अलग कर लिया। वे एकदूसरे के सामने कई बार आईं, लेकिन उन्होंने कभी एक-दूसरे से बात नहीं की। दोनों मन ही मन बहुत दुखी थी, क्योंकि वे एक-दूसरे को बहुत चाहती थीं।
लेकिन वे अपने अहम की वजह से वह एक-दूसरे से बात नहीं कर पा रही थीं। एक दिन उनके एक प्रोफेसर ने उन दोनों के बदले स्वभाव को भांप लिया। उन्होंने दोनों सहेलियों के बीच के दुराव को खत्म करने का फैसला किया। उन्होंने दोनों को लैब में बुलाया और दोनों को एक कटोरे में पानी उबालने के लिए कहा। जब दोनों का पानी उबल गया, तो उन्होंने कहा, अब इस पानी का ऐसे इस्तेमाल करो कि पानी का स्वरूप न बदले, लेकिन जो इस पानी में पड़े, उसका स्वरूप बदल जाए। सोमा ने पानी में दो आलू डाल दिए, जो पहले सख्त थे, और पानी में उबलने के बाद नरम हो गए। वहीं विनीता ने पानी में दो अंडे डाल दिए, जो पहले द्रव्य रूप में थे, लेकिन उबलने के बाद सख्त हो गए। प्रोफेसर दोनों से बहुत खुश हए और बोले. तम दोनों ने बहत अच्छा काम किया। अगर तुम दोनों ने एक ही जैसे पदार्थ पानी में डाले होते, तो पानी के विपरीत लक्षणों को नहीं पहचान पाते। एक तरफ पानी सख्त को नरम बना देता है और दूसरी तरफ वही पानी नरम को सख्त। यह सिर्फ तुम दोनों के विपरीत नजरियों की वजह से हुआ है। हम भले ही एक-दूसरे के भिन्न विचारों से सहमत न हों, लेकिन हमें उसका सम्मान करना चाहिए। दोनों फिर से अच्छी सहेलियां बन गईं।
Moral of the story - दूसरों के नजरियों को समझने से अपने नजरिये का भी विस्तार होता है।
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