अनजान लड़की की नसीहत...


ऐसे बेटे की कहानी जिसे दोस्त ने पिता के प्यार के बारे में बताया.

एक बार समुद्री जहाज भीसण तूफान का शिकार हो गया.जहाज में सवार बाकि सारे सेलानी डूब गये लेकिन एक पिता और उनका बेटा किसी तरह तैरते तैरते एक छोटे से टापू के तट पर पहुंच गये. वह निर्जन टापू पेड़ों से भरा हुआ था. उसके चारों तरफ दूर दूर टक सिर्फ पानी ही दिखाई देता था. उन्होंने तय किया कि दोनों टापू के अलग अलग छोर पर जाकर रहेंगे जिससे कि अगर उस तरफ से कोई जहाज गुजरे तो वे उसे संकेत कर सकें और घर वापस लौट सकें. बेटे के भाग के टापू में कई तरह के फल वाले पेड़ लगे थे. लेकिन पिता के भाग वाले टापू में केवल बड़े बड़े झाड ही थे. पिता और बेटे दोनों को भूख लगी दोनों ने प्रार्थना शुरू की कि उन्हें खाने को कुछ फल मिल जाएं. 

अनजान लड़की की नसीहत...

अगले दिन बेटे कि तरफ वाले टापू पर कुछ फल दिखाई पड़े. बेटे ने पेट भर के फल खाएं. पिता ने कहा- यह तुम्हरी प्रार्थना और किस्मत का नतीजा है. मेरी किस्मत में शायद फल नहीं. अगले दिन बेटे को टापू पर बहुत अकेला महसूस होने लगा. उसने प्रार्थना कि की उसे बात करने को कोई हमसफ़र मिल जाए. अगले दिन जब वह सो कर उठा तो उसे दूर कही से किसी लड़की कि चीखने कि आवाज सुनाई दी. उसने देखा एक लड़की जो उसी के जहाज पर थी. तेल के बड़े से पीपे के सहारे तैर रही थी. उसने रस्सी फेंक कर लड़की को टापू पर खींच लिया और उसे बचा लिया. दोनों में बहुत अच्छी दोस्ती हो गयी. उसके पिता ने कहा- यह तो तुम्हरी किस्मत है. मेरी किस्मत में यह कहां. फिर बेटे ने प्रार्थना कि की उसे कोई नाव मिल जाए. जिससे वह वापस अपने घर जा सके. अगले दिन जब वह उठा. तो उसने देखा कि एक नाव उस टापू के तट पर आ गई. बेटा बहुत खुश हुआ. उसने अपनी नई दोस्त को बुलाया और नाव पर सवार होकर टापू छोड़ कर जाने लगा. तभी लड़की बोली. तुम अपने पिता को नहीं बुलाओगे. बेटा बोला- इस नाव पर केवल दो लोग ही आ सकते है. और वेसे भी यह मेरी प्रार्थनाओ और किस्मत का नतीज़ा है. लड़की बोली- तुमने कभी सोचा है. कि तुम्हारी किस्मत इतनी अच्छी क्यों है. कभी सोचा है कि क्यूँ तुम्हारी हर कामना पूरी हो जाती है. यह सब इसलिए हो जाता है क्यूंकि तुम्हरे पिता कि सिर्फ यही कामना होती है कि तुम्हारी हर कामना पूरी हो. यह सुन कर बेटे कि आँखों में अंशु आ गये. उसे अपनी सारी गलतियाँ याद आने लगी. उसने पिता से क्षमा मांगी और नाव पर नई लकड़िया जोड़ कर वे अपने घर वापस लौट गये.

Moral Of The Story- माँ-बाप के लिए उनकी संतान की ख़ुशी ही सबसे बड़ी ख़ुशी होती है.


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