एंडी बिटिया और उसका तोहफ़ा...
एक बच्ची की कथा. जिसने अपने पापा को अनूठा उपहार दिया.
एंडी एक ज्वेलरी कि दुकान पर काम करता था. सुबह ज़ल्दी काम पर निकल जाता और रात में दुकान बंद करने के बाद ही लौटता था. उन दिनों दुकानों पर धन्दे में बहुत मंदी चल रही थी. ग्राहक आते भी तो बिना सामान लिए या फिर उधारी सामान लेकर चले जाते थे. दुकान का मालिक खुद बड़ी मुश्किल से घर चला पा रहा था. ऐसे में वह अपने नौकरों को पूरी तनख्वाह कैसे दे सकता था. एंडी भी काफी परेशान था. उसकी एक छोटी सी बेटी थी. वह स्कूल जाती थी. बेटी की स्कूल कि फ़ीस किताबों का खर्च और खाना पीना ठीक से चलता रहे. बस इसी की फ़िक्र एंडी को लगी रहती थी.
एक दिन एंडी जब घर पहुंचा. तो उसने देखा की उसकी
अलमारी का दरवाज़ा खुला हुआ है. जब उसने अलमारी टटोही तो देखा बाकी सब कुछ तो अपनी
जगह पर है. पर एक सुनहरा कागज़ जिस पर सोने की पॉलिस थी वह गायब है. एंडी वह कागज़
अपनी दुकान से यह सोंच कर लाया था कि किसी दिन ज़रूरत आने पर उसे बेच कर कुछ पैसे
मिल जाएंगे. एंडी ने उस कागज़ के टुकड़े को ढूँढने के लिए पूरा घर छान डाला. लेकिन
उसे वह कागज़ नहीं मिला. जब उसकी पत्नी और बेटी घर लौटी तो देखा एंडी बहुत गुस्से
में है. जब उन्हें पता चला कि एंडी उस कागज़ कि खोज में है तो डरते डरते बेटी ने
कहा- कि वह कागज़ उसने लिया है एंडी यह सुनते ही अपनी बेटी पर बरस पड़ा. वह बोला- तुम्हारी जुर्रत कैसे हुई. बिना मेरी इजाज़त के अलमारी से कोई चीज़ निकलने की. इससे
पहले कि वह कुछ आगे बोले उसकी पत्नी ने बेटी को अन्दर भेज दिया और एंडी से कहा-
उसने आपके जन्मदिन के लिए एक तोहफ़ा तैयार किया है. उसी के लिए उसने मुझसे वह कागज़
माँगा था. अगले दिन एंडी का जन्मदिन था. उसकी बेटी सुबह सुबह उसी कागज़ में लिपटा
हुआ एक डिब्बा लेकर आई और एंडी को तोहफे के तौर पर दे दिया. एंडी बहुत खुश हुआ
लेकिन जब उसने डिब्बा खोला तो वह ख़ाली था. उसने अपनी बेटी को बुलाया और कहा- आइंदा
से किसी को ख़ाली डिब्बा तोहफ़े में मत देना. बेटी ने सहमते हुए कहा- पापा मेरे पास
पैसे नहीं थे कि में आपको कुछ दे सकूं. इसीलिए मेने इसमें ढेर सारा प्यार और कई
प्रार्थनाए भर दी है. आपको मेरे लिए समय नहीं मिल पता. जब भी आपको मेरी याद आए. आप
यह डिब्बा खोल लिजिएगा और मेरी एक चुम्मी उसमे से ले लिजिएगा और जब कोई फ़िक्र सताए
तो एक प्रार्थना निकाल लिजिएगा. एंडी की आँखों में आंशु आ गये.
Moral Of the Story- बच्चे ज़्यादा संवेदनशील होते हैं जानिए कि उनके मन में क्या है?
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