प्रतिभा की कहानी , जिसे अर्चना आंटी के कुछ शब्दों ने मां की ममता का एहसास करा दिया। अर्चना आंटी लखनऊ स्टेशन पर चाय की गुमटी चलाती थी। एक दिन एक छोटी-सी लड़की प्रतिभा उनकी गुमटी पर आकर बैठ गई। वह परेशान लग रही थी। उस समय आंटी समोसे बना रही थीं। उन्होंने प्रतिभा से पूछा , क्या तुम समोसा खाओगी ? प्रतिभा बोली , हां , पर मेरे पास पैसे नहीं हैं। आंटी ने प्रतिभा को समोसा देते हुए कहा , तुमसे पैसे न भी लिए , तो कोई बात नहीं। प्रतिभा आंटी को हैरानी से देखते हुए बोली , एक आप हैं , जो मुझे जानती भी नहीं , फिर भी इतने प्यार से समोसा खिलाने को तैयार हैं। दूसरी तरफ मेरी मां हैं , जो मुझे जरा भी प्यार नहीं करतीं। आंटी बोलीं , क्या तुम घर से भागकर आई हो ? प्रतिभा आंखें चुराते हुए थोड़ी हिचकिचाते हुए बोली , नहीं तो। आंटी बोलीं , क्या तुम सचमुच मानती हो कि तुम्हारी मां तुम्हें प्यार नहीं करतीं ? प्रतिभा बोली , कोई आप के ऊपर चिल्लाए और घर से निकल जाने को कहे , तो वह यही दर्शाता है न कि वह प्यार नहीं करती ? आंटी बोलीं , मैंने तुम्हें सिर्फ एक समोसा खाने को दे दिया , और तुमने मुझे ...